मेरे 18 वर्षों के शैक्षणिक कार्यकाल में अनेक राज्य बदले, विद्यालय बदले और हर बार एक नए परिवेश से मैंने एक नई शुरुआत की ।
मेरी ‘हिंदी भाषा’ ने मुझे हर एक नए स्थान पर मुझे एक नई पहचान दी । एक ऐसी पहचान कि जिस विद्यालय को मैंने आज से 15 वर्ष पहले छोड़ा था, वहाँ के बच्चे और लोग आज भी याद करते हैं । ये मेरे लिए गौरव और सम्मान की बात है जो मैंने केवल ‘हिंदी भाषा’ के कारण ही पाया है ।
उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’