चाह नहीं थी मुझे सोने चांदी की ,अपनी प्रिय जनों से तो लालची बता दिया
मैं ठहरी सीधी स्पष्ट करने वाली बात, तो बदतमीज बता दिया
जब सत्ता या अपनी प्रिय पर थोड़ा सा अधिकार तो पैसे की भीगी लालची बता दिया
जब रखना चाहा तनाव से दूर खुद को
तो मेरी इस कलम को मानसिक रूप से बीमार बता दिया
- archana