दोहा-सृजन हेतु शब्द*
पत्थर,पतित,गोदान,विदुर,व्यापार
*पत्थर* दिल को पूजते, मौनी बना समाज।
कौन अलख जाग्रत करे, मौन हो गए आज।।
*पतित* पावनी नर्मदा, बहा रही जलधार।
मानव दूषित कर रहा, बहा रहा है क्षार।।
प्रेमचंद मुंशी हुए, हिन्दी करे प्रणाम।
उपन्यास *गोदान* लिख, किया उजागर नाम।।
*विदुर* नीति द्वापर लिखी, कैसी हो सरकार।
कलयुग में चाणक्य ने, दिया उसे विस्तार।।
सद्-*व्यापार* न कर सके, करते उल्टा काम।
टैरिफ का डंडा घुमा, ट्रंप हुए बदनाम।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*