कहते हैं कि दिल्ली दिलबरों की है, दिलजलों की है और दिल-फरेबों की भी है। निशांत, जिसमें ये सारे गुण मौजूद थे, उसे उसकी गरीबी की वजह से उसकी प्रेमिका राधिका छोड़कर चली जाती है। लेकिन किस्मत का खेल तो देखिए! एक रात उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आता है कि वह रातों-रात अमीर बन जाता है। क्या निशांत अपनी अमीरी से राधिका का प्यार वापस पा पाएगा? या उसे यह समझ आएगा कि प्यार दौलत से नहीं, बल्कि दिल से होता है? क्या होगा इस कहानी का अंजाम?
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