प्रेमालाप
काहे छेडे मोहे,
मे वार गइ तन -मन तुजपे।
फिर काहे सतावे नंदलाला,
मे तेरे प्रेमकी बलिहारी हु,
जितना तडपावे उतनी ही
होगी मे तेरी।
तन मा है प्राण त्होरे
फिर काहे दॅद मुझे होवे।
होता है दॅद मुझे,
जब तु ऑखो से ओजल होवे।
इन आखॅ मे बन जा ख्वाब तु
फिर केसै रहे मोहे से दुर।
मे तेरी प्रेम की हारी हु,
तु तडपावे तेरी तडपण ही
मेरी आखॅमे अश्रु की प्रीत है।...
- ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત