“मैंने जीना सीख लिया”
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
पाप कहो या पुण्य कहो
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
एक जिंदगी मिली थी
लाखों में आन बसी इन आँखों में
एक जीवन मुस्काई थी मन भँवरे को भायी थी
एक दिन प्यार का फूल खिला मेरे सुर को गीत मिला
पर किस्मत लायी रंग नए सुर छूटे और गीत गए
बिच भँवर तूने छोड़ा भरे प्रेम में मुंह मोड़ा
प्यार पे ऐसा वार किया
उफ़ जीना, उफ़ जीना दुश्वार किया
अब एकलता ने साथ दिया
तो तुझ बिन जीना सिख लिया
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
लोग कहे क्यों हा हा हा
लोग कहे क्यों नीराश हो
मन कहता क्यों जीते हो
जीने की कोई चाह नहीं
मरने की कोई राह नहीं
जीवन है जब रोग यहाँ
बोलो इसकी दवा कहाँ?
प्यार के जाम ना पीते हम
खोकर होश ना पाते गम
हमने मंजिल ढुंढी
थी लेकिन किस्मत हमारी
रूठी थी
राह में साथी हाय,
राह में साथी छोड़ गया
ठेस लगी दिल टूट गया
अब तो इसी जीवन के
धागों से दिल सीना सिख लिया
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
अरे पाप कहो या पुण्य कहो
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया
💕
- Umakant