एक ख़त जो लिखा नहीं मैंने,
पर हर रोज़ दिल में मेरे उतरता गया
हर अल्फ़ाज़ तेरे नाम से भीगा,
हर खामोशी में तुमसे मिलता रहा ...
कागज़ की जगह साँसों ने थामा,
स्याही थी वो यादें जो अब भी नम हैं....
लफ़्ज़ नहीं थे, बस जज़्बात बहते रहे,
तू दूर था, पर एहसास
हरदम पास आकर लिपटा रहा.....
कभी रोते हुए सोचा तुझे भेज दूँ,
अधूरे पड़े शब्दों को समेट लूं
पर ये ख़त अब सिर्फ़ मेरे लिए है..
तेरी बेख़बरी में भी बसा तेरा नाम है,
ये मोहब्बत मेरी ज़िंदगी लिए अब भी तेरे साथ है...
_Manshi K