छुपी थी मैं अपने ही साए में
अब खुद से मिलने निकली हु
अगर मिल जाए किसी का साथ,
तो वो मंजिल भी मिल जाए
जिसे मैं ढूंढने निकली हूं।
ना राह का गिला ना
अंधेरा का शिकवा,
बस एक मुशाफ़िर हु
जो खुद में ही चली हूं।
बहुत ढूंढने के बाद
यह रास्ता मिला है मुझे,
मुझे यकीन है इस सफर में
मैं जरूर निखरूंगी
अपने मंजिल तक जरूर पहुंचूंगी।
- Sunita bhardwaj