“इतने दिवस दूर कैसे थे
इन आँखों का पानी जाने,
दिल ने खुद को क्या समझाया,
दिल की रामकहानी जाने।
कविता, गज़ल, कहानी लिखना
भी शायद हम भूल गए थे,
सपने धूमिल, मन बोझिल था,
प्रिय! जब से तुम दूर गए थे।
तुम आए तो, प्रेम पगा फिर यह जीवन, यौवन मुस्काया
तुम आए तो, ऊसर-बंजर धरती पर फिर सावन आया।”
🙏
- Umakant