📘 “बर्फ के पीछे कोई था?”
कुछ कहानियाँ अधूरी नहीं होती, बस वो पूरी होकर भी चुप रहती हैं…
क्या आपने कभी किसी को इतने पास महसूस किया है कि उसकी गैरमौजूदगी भी आपके साथ चलती रही हो?
“बर्फ के पीछे कोई था?” एक ऐसी ही कहानी है — एक अधूरी चाहत, एक बिन बोले रिश्ता और वो खामोशी, जो बर्फ से भी ठंडी थी। यह सिर्फ प्रेम कथा नहीं है, यह उन अनकहे जज़्बातों की परतों को खोलती है जिन्हें हम महसूस तो करते हैं, पर ज़ुबां नहीं दे पाते।
“कुछ लोग कभी अलविदा नहीं कहते…
वो बिछड़ते नहीं, बस चुपचाप हमारी साँसों में उतर जाते हैं।”
यह किताब उन पाठकों के लिए है जो भावनाओं को पढ़ना जानते हैं, जो उन पन्नों के बीच छुपी कहानियों को महसूस कर सकते हैं — और जो जानते हैं कि कभी-कभी सबसे गहरी बातें सबसे शांत शब्दों में कही जाती हैं।
कहानी पहाड़ों में है, लेकिन उसका दर्द आपके दिल में महसूस होगा।
हर मोड़ पर एक सवाल, हर पृष्ठ पर एक खामोशी — और अंत में,
एक ऐसा एहसास, जो देर तक आपके भीतर ठहर जाएगा।
“बर्फ के पीछे कोई था?” उन्हें समर्पित है जो किसी को खोकर भी उसे अपने भीतर जीवित रखते हैं।
📖 अगर आप उन किताबों से प्यार करते हैं जो सिर्फ कहानी नहीं, एहसास बन जाएं — तो यह आपके लिए है।
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