📘 फोकटिया – जब दोस्ती एकतरफा हो जाए, तो खामोशी सबसे बड़ा सवाल बन जाती है…
“कभी-कभी सबसे मुश्किल काम होता है — उस रिश्ते से पीछे हटना, जिसे तुमने दिल से निभाया था।”
फोकटिया सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह उन अनकहे एहसासों की यात्रा है, जहाँ रिश्ता सिर्फ दिखावे का रह जाता है और इंसान भीतर से टूटने लगता है।
राजीव हर उस इंसान का प्रतिनिधित्व करता है जो रिश्तों में वफ़ादार रहा, लेकिन बदले में इस्तेमाल किया गया।
उसने दोस्ती को ईमानदारी से निभाया, लेकिन कमल ने उसे एक “फोकटिया” से ज़्यादा कुछ नहीं समझा — एक ऐसा इंसान जो सब कुछ देता रहा और बदले में कुछ नहीं माँगता।
“मैंने दोस्ती निभाई थी, सौदे नहीं किए थे।
मगर लगता है तुझे आदत थी, मुझे इस्तेमाल करने की…”
यह किताब उन पाठकों के लिए है जो खुद को दूसरों की खुशी में भुला चुके हैं। जो मुस्कराते रहे, सिर्फ इसलिए कि सामने वाला न रोए — पर खुद की आँखें हमेशा भीगी रहीं।
फोकटिया आपको सिखाएगी कि आत्मसम्मान का मतलब अकेले रहना नहीं होता —
बल्कि यह जानना होता है कि आप क्या डिज़र्व करते हैं।
📖 अगर आपने कभी खुद को किसी के लिए इतना झुकाया कि खुद की पहचान खो दी — तो ये किताब आपकी अपनी कहानी है।
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“कभी-कभी ‘ना’ कहना भी खुद से प्यार करने की शुरुआत होती है।
और फोकट में निभाए गए रिश्ते, सबसे भारी बोझ बन जाते हैं।”
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