**चाँदनी रात में तुझको पुकारूँ**
चाँदनी रात में तुझको पुकारूँ,
तेरे बिन सजना मन को ना देखूँ।
चाँद की किरनें बिछे रे बिछाने,
तेरे बिन ये रात अधूरी रे देखूँ।
पानी की लहरें करे रे पुकारा,
तेरे बिन ये नदिया सूनसान देखूँ।
सितारे झिलमिल करे रे इशारा,
तेरे बिन ये आकाश उदास रे देखूँ।
गाँव की गलियों में चाँद रे चमके,
तेरे बिन ये गलियाँ खाली रे देखूँ।
हवा की सरगम सुनाये रे गीतवा,
तेरे बिन ये धुनें अधूरी रे देखूँ।
महके रे फूलों की खुशबू हवाओं में,
तेरे बिन ये बगिया बेकार रे देखूँ।
झींगुर की आवाज़ बजे रे रात में,
तेरे बिन ये संगीत फीका रे देखूँ।
पेड़ों की छाँव में सपने रे सजते,
तेरे बिन ये सपने अधूरे रे देखूँ।
अंखियों में तेरा रे चेहरा बसे रे,
तेरे बिन ये नैन तरसते रे देखूँ।
दिल की किताबों में तेरा रे नामवा,
तेरे बिन ये पन्ने खाली रे देखूँ।
चाँदनी रात में तेरा रे इंतज़ार,
तेरे बिन ये लम्हे भारी रे देखूँ।
तेरे संग सजना सजे रे ये रातें,
तेरे बिन ये चाँदनी ठंडी रे देखूँ।
दिल-ए-मोहब्बत ये कहे बेकरारी,
तेरे संग सजना जीना रे देखूँ।
सुहेल अंसारी । सनम