**तेरे बिन सजना लागे ना मनवा**
(रदीफ़: "लागे ना मनवा", काफिया: "कनवा")
सावन की बूंदें बरसें रे कनवा,
तेरे बिन सजना लागे ना मनवा।
खेतों की माटी महके रे सुनवा,
तेरे बिन ये धरती ठंडी रे कनवा।
पंछी की चहचह गाए रे गीतवा,
तेरे बिन ये धुन अधूरी रे कनवा।
चंदा की चांदनी झिलमिल करे रे,
तेरे बिन ये रात सूनसान कनवा।
माथे पे बिंदिया सजायी मैंने रे,
तेरे बिन ये साज फीका रे कनवा।
चूड़ी की खनक में गूँजे रे बोलवा,
तेरे बिन ये कंगना खामोश कनवा।
गाँव की चौपाल पे बातें रे करवा,
तेरे बिन ये सखियाँ उदास रे कनवा।
महके चमेली की कलियाँ रे सुनवा,
तेरे बिन ये खुशबू ना भाए कनवा।
बरगद की छाँव में सपने रे सजवा,
तेरे बिन ये नींद ना आए कनवा।
पनघट पे पानी भरूँ रे मैं डोलवा,
तेरे बिन ये गागर भारी रे कनवा।
सुरमई अंखियों में सपने रे बसवा,
तेरे बिन ये नैन तरसते रे कनवा।
दिल की दुआएँ करे रे पुकारवा,
तेरे बिन ये धड़कन रुके रे कनवा।
बाहर की हवा में तेरा रे संदेसवा,
तेरे बिन ये मौसम बेकार रे कनवा।
दिल-ए-मोहब्बत ये कहे बेकरारी,
तेरे संग सजना सजे मेरा मनवा।
सुहेल अंसारी।सनम