तुम ही तो हो मेरा.. सारा आसमान
तेरा प्रेम बादलों सा असीम,
कभी उमड़ते हो,
कभी बरस जाते हो मेरी रूह तक ।
मैं धरती बन थाम लेती हुं, हर बुन्द को
फिर.. अपने आंचल में सहेजती हु,
उस अमृत को ।
और_ फिर सिंचती हुं हर बार,
अपने रिश्तों की जड़ों को ।
ताकि वो जन्म जन्मो तक
अमरता के साथ खड़े रहे...!!
- Soni shakya