Hindi Quote in Motivational by चंद्रविद्या चंद्र विद्या उर्फ़ रिंकी

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साहिल को चाय की लत ऐसी लगी थी कि चाय की एक चुस्की अगर शाम के चार बजते - बजते न मिले तो , उसके सिर में दर्द हो जाता था।
कई बार तो सकीना ने साहिल की इस आदत से तंग आकर झुंझला कर कह दिया था कि " किसी भी चीज की ऐसी आदत अच्छी नहीं साहिल मगर तुम्हे
मेरी सुननी ही कहां है ? कल से चाय पीनी हो तो तुम्हीं बना लेना। मै तुम्हे बनाकर नहीं देने वाली।"
लेकिन साहिल की आदत कहां सुधरती वह तो चाय का दीवाना ठहरा शाम की चार हो , या सुबह की आठ । साहिल को तो चाय चाहिए । वो भी सकीना के हाथों की ही ।
एक दिन इसी चाय की वजह से सकीना और साहिल में बहस हो चली और सकीना साहिल से नाराज होकर बैठ गई ।
जब शाम को चार बजा साहिल ने चाय नहीं मांगा , न चाय के लिए सकीना को आवाज़ लगाई । उस दिन न जाने क्यों सकीना का ही ध्यान बार बार घड़ी की ओर जाता और मन ही मन सोची -
" न जाने क्यों ? अभी तक चाय के लिए आवाज नहीं आई , चाय का वक़्त हो चला कही वो नाराज तो नहीं कल की बात से। बार बार सकीना बड़बड़ाती और घड़ी की तरफ देखती ।वह इंतजार में थी , कब साहिल चाय के लिए आवाज लगाएंगे बस यही उसके मन में चलते रहा '
जब 4 से 5 और 5 से 6 बज गया और साहिल का जबाव नहीं आया तो खुद ही रसोई में जाकर चाय बनाने लगी और अपने आप से ही बोलती रही " कौन सा मै उनके बुरे के लिए बोलती हूं , फिर भी उन्हें बुरा लग जाता है ।चाय कोई अमृत थोड़ी न है न जाने क्यों इतना गुस्सा नाक पर चढ़ आता है उनके । जब इतना ही गुस्सा है तो चाय खुद ही बनाकर पी क्यों नहीं लेते? "
चाय बनाने के बाद धीरे से सकीना कमरे का दरवाजा खोलकर झांक कर देखती है की साहिल क्या कर रहे है? साहिल अपने कुछ कागजों में उलझा और लैपटॉप पर शायद किसी फाइल पर काम कर रहे थे । फिर धीरे से हिचकिचाहट के साथ कमरे में सकीना आती है ,और धीरे –से जाकर मेज़ पर चाय की प्याली रख दिया । और कुछ देर यू हीं चुपचाप सामने खड़ी रही । शायद साहिल के बोलने का ही इंतजार कर रही थी । दोनों एक दूसरे को बिना देखे कुछ देर यूहीं सोचते रहे फिर धीरे से साहिल ने चाय की प्याली की तरफ हाथ बढ़ाया और अपने होठों से लगा लिया और धीरे से कहा- सकीना जब तक तुम्हारे हाथों की चाय न मिले तो काम करने में वो मजा नहीं आता ।
और तुम्हारी नाराजगी चाय में जान डाल देती है । इतना बोलकर साहिल के होठों पर एक लंबी सी मुकराहट फैल गई । जिसे देख कर सकीना भी मुस्कुरा देती और कहती है–
" क्या करु साहिल जी आपको चाय पीने की आदत जो हो गई है और मुझे आपके लिए चाय बनाने की "
फिर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े

Hindi Motivational by चंद्रविद्या चंद्र विद्या उर्फ़ रिंकी : 111978623
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