हर सुबह पत्तों पर मोती सी चमके,
यह ओस की बूँदें, क्या खूब दमके।
नज़रों को ठंडक, दिल को यह भाए,
पल भर में आकर, फिर कहाँ यह छिप जाए।
सूरज की किरणें छू लें जो इनको,
बनकर यह भाप हवा में उड़ जाए।
मासूम सी सूरत, नाजुक सी हस्ती,
कुदरत की कारीगरी, हर कोई ललचाए।
कुछ देर ही रहती है यह कहानी,
फिर दिन की गर्मी में इसका निशान मिट जाए।