कितना सुहावना है .. ये पल
उपर आसमान में चमकता चांद और टिमटिमाते तारे।
निचे ज़मीं पर हम दो,
एक दूसरे से दिल हारे ।
न तुमने कुछ कहा न मैंने
फिर भी.. आंखों ने पड़ लिया
कानों ने सुन लिया।
शरारती दिल ने कुछ ..कहां
आंखें शर्म से झुकती इससे
पहले ही __खुल गई फिर...
न चांद न तारे,
चारों और सिर्फ अंधियारे ही अंधियारे!
कितना हसीन था....वो पल !!!
- Soni shakya