स्त्रियों पर समीक्षा शब्दों से परे हैं
लिखा गया इतिहास
कईबार भ्रमित करता हैं,
और भविष्य
केवल प्रश्नार्थ चिन्ह...
वास्तविकता यह रही की
प्रेम,
प्रतीक्षा,
परिवार,
प्रकृति,
प्रशंसा...
स्त्रियों के लिए कुछ भी छोड़ना
कदापि आसान नहीं रहा...
अगर
छोड़ पाती तो
स्वयं.... बुद्ध हो जाती!!