ईश्वर खोज ने से नहीं मिलता,
संपूर्ण समर्पण और त्याग की भावना से मिलता हैं,
सच्चे मन की प्रार्थना से उनकी अनुभूति होती है,
प्रार्थना की शक्ति से हम अपने मन के विकार दूर कर सकते है,
शुद्ध विचारों के आगमन से मन प्रफ्फुलित और ईश्वर के करीब पहुंचते है,
समर्पण के भावना से मन के विकराल और वासना तिरोहित हो जाते है,
स्वयं से प्रेम और ध्यान से हम ईश्वर के करीब पहुंचते है,
ओर जितना गहरा ध्यान होता है, उतना ही ईश्वर के प्रति प्रेम बढ़ता है,
एक अद्भुत शांति का एहसास होता हैं,एक तेज प्रकाश दिखाएं देता है, जिसे पाने की लालसा हमें ईश्वर के ओर करबी ले जाती है,
ईश्वर स्वयं के भीतर है,इसे कही और बाहर खोजने की जरूरत नहीं है।।
जय श्री राम!!
जय श्री कृष्ण!!
- Kamlesh Parmar