शायरी
वो अपने चेहरे में सौं
आफ़ताब रखते हैं
इसीलिये तो वो रुख़
पे नक़ाब रखते हैं
वो पास बैठे तो
आती है दिलरुबा खुशबु
वो अपने होंठों पे
खिलते गुलाब रखते हैं
*****
जवानी की जलती हुई
दोपहर में
ये ज़ुल्फ़ों के साये
घनेरे-घनेरे
अजब धूप छाँव का
आलम है तारी
महकता उजाला चमकते अंधेरे
ज़मीं का फजा हो गई आसमानी
*****
लबों की ये कलियाँ
खिली-अधखिली सी
ये मखमूर ऑंखें
गुलाबी-गुलाबी
बदन का ये कुंदन
सुन्दर-सुनहरा
ये क़द है कि छूटी
हुई माहताबी
हमेशा सलामत रहे
या जवानी ।
नवाजिश= Kindness, Favor
तारी=Spreading,Happening
करम= Benevolence, Beningnity
मखमूर = Drunk, intoxicated.
💕
- Umakant