आहिस्ता चल रहीं जिंदगी,
अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है,
रफ़्तार मे तेरे चलने से,
कुछ रूठ गए कुछ छूट गए,
रूठो को मानना बाकी है,
रोतो को हंसाना बाकी है,
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए,
कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए,
उन टूटे-छूटे रिश्तों के,
ज़ख्मों को मिटाना बाकी है,
कुछ हसरतें अभी अधूरी है,
कुछ काम भी और जरूरी हैं,
जीवन की उलझ पहेली को,
पूरा सुलझाना बाकी है,
जब सांसो को थम जाना हैं,
फिर क्या खोना क्या पाना है,
पर मन के जिद्दी बच्चे को यह बात बताना बाकी है।
आहिस्ता चल जिंदगी
अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।
- स्वाति कुमारी
🙏🏻
- Umakant