वासना क्या है।।।।
जो जान जाए तो सत्य हैं। जो खेल जाए तो गलत हैं।।
जो जान जाए तो पवित्र हैं। जो खेल जाए तो अछूत है।।
जो जान जाए तो प्रेम है। खेल जाए तो नफ़रत है।।
जो जान जाए तो सरल है। खेल जाए तो उलझन है।।
जो जान जाए परिवार है। खेल जाए तो नाला है।।
जो जान जाए तो परम है। खेल जाए तो अधम हैं।।
जो जान जाए तो ब्रह्मचर्य है। खेल जाए तो भोगी है।।
जो जान जाए तो संत है। खेल जाए तो विराग है।।
समझो तो स्वयं ज्ञानी। ना समझो तो अज्ञानी।।
सृष्टि का सर्जन और विसर्जन है। जो समझो तो वो परम है।।
- Kamlesh Parmar