मैं और मेरे अह्सास
किताब का वो पन्ना
किताब का वो पन्ना जिसमें
तुमने अपना नाम लिखा था l
उस पन्ने की वज़ह से आज
तक क़िताब साथ रखी हैं ll
काट रहे हैं ये जिन्दगी वहीं
एक यादों के सहारे आज भी l
बड़ी हिफाज़त से अलमारी में
संभालके याद रखी हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह