मैं और मेरे अह्सास
अनजान रास्तों
जिंदगी की तलाश में अनजान रास्तों पर निकल पड़े हैं l
जहां भी थोड़ी सी खुशी दिखी वहां पर
मचल पड़े हैं ll
सफ़र मुश्किल तो बहुत है पर हौसलों के
साथ चलते रहे l
आगे बढ़कर सुकुनियत महसुस हुई तो
छलक पड़े हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह