दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*भारत, स्वर्ग, दिनेश, विश्वशांति, पहरेदार*
जयति-जयति जय भारती, स्वर्ग धरा यह देश।
विश्व गुरू *भारत* सुखद, विश्व शांति परिवेश।।
जन्म-भूमि ही स्वर्ग-सम, भारत भूमि महान।
राम कृष्ण गौतम यहाँ, शिव का नित वरदान।।
प्रात काल में ऊगते, ज्योतिर्वान *दिनेश*।
धरा प्रफुल्लित हो उठी, पहन कर्म-गणवेश।।
*विश्वशांति* का पक्षधर, रहा सदा यह देश।
शांति दूत हनुमत बने, धरा कृष्ण ने वेश।।
उत्तर में हिमराज हैं, सच्चा *पहरेदार*।
ड्रैगन खड़ा दहाड़ता, नहीं लाँघता द्वार।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज"