उदासियों के ढेर से कुछ बचा लाने की जुगत जिंदगी है
जैसे भूखे बच्चे तलाशते हैं प्लास्टिक के टुकड़े, पॉलीथिन और,
कभी कभी हाथ लग जाती ह
ै साबुत चप्पल की जोड़ी, नाप की कमीज, बिस्किट का पैकेट, बासी रोटियां....
बिल्कुल वैसी ही है उदासियों के ढेर से जिंदगी ढूंढ लाने की खुशी ! बेशक.... क्षणिक !
- pooja