एक स्त्री…
जीवन में…प्रेम में…
कितने प्रकार से आहत होती हैं
शांत हो जाती है जब उसका हक
किसी ओर को दे दिया जाता हैं
रो पड़ती है जब कोई अपना उसे
गलत समझता हैं
आँसू बहा कर चुप हो जाती है जब
कोई चरित्र पे उँगली उठाता हैं
खामोशी अपना लेती हैं जब कोई
उसकी नहीं सुनता
धीरे धीरे सबसे दूरी बना लेती जब
उसे कोई नहीं समझता,,
रिश्ते भले ही नहीं तोड़ती मन मोस
कर निभाती हैं पर हर बार उन रिश्तों
के धागों में बस गाँठ लगाये जाती हैं...!!!