प्रेम में मुझे पूजा कलश नहीं बनना जिसे अंत में विसर्जित कर दिया जाता है !!
प्रेम में मुझे मौली सूत्र बनना है.. तुम्हारे दाहिने हाथ के मणि बंद से लिपट जाना है तुम्हारा रक्षा कवच बनकर !!
प्रेम में मुझे बनना है द्वार पर बने स्वास्तिक के जैसा.. जो तुम्हारी मंगल कामना में लीन रहे !!
प्रेम में मुझे बनना है द्वार पर लगी तोरण जैसा.. जो तुम तक आने वाली हर नजर हर बला को तुम से दूर रखे...