"सीखने का सफर"
सीखने की उम्र में, ज्ञान का दरिया था,
रहा अनछुआ, बह गया सियाही से भरा था।
जो सीखा था, किताबों के पन्नों में,
जीवन के मैदान में काम नहीं आया।
बीती बातों को, छोड़ देना ही अच्छा है
दर्द भरी यादों को ,मिटाना ही अच्छा है।
नये जमाने में, उम्मीद की किरण है,
नयी शिक्षा से, सीख लेना ही जीवन है।
गलतियों से सीख कर,आगे बढ़ना है,
खुली आँखों से, भविष्य को देखना है।
नयी चुनौतियों को, गले लगाना है,
नयी सीख से, स्वयं को सजाना है।
पुराने ज़ख्मों को, मलहम लगाना है,
नयी उड़ान भरने की, तैयारी करना है।
सीखने का सफ़र, कभी ख़त्म नहीं होता,
हर पल नया ज्ञान, हमें सौंपता है।
- कौशिक दवे
- Kaushik Dave