दिल कभी सुरते हालत से बाहर नहीं गया
में मोहब्बत में मेरी औकात से बाहर नहीं गया
एक तू है कि जहां भर से है ताल्लुक तेरा
एक में हु जो तेरी जात से बाहर नहीं गया
रात जब शिद्दत- ए- जुल्मत से जल उठती है....!!
लोग इस वफ़ा- ए- मातम को सहर कहते हैं....!!
में कभी अपने शहर से बाहर नहीं गया