" राहें "
थोड़ी सी आहट सुनाई दिया तो था
कहीं खोया हुआ पल याद बनकर सताया तो था
मंजिल का पता नहीं पर राहें दिखी तो थी मुझे
कभी तारे जमीं पर आंखों से बिखरा तो था ......
अनकही बातें अकसर खामोश कर ही जाती है
कभी पन्नों पर बिखर कर जवाब दे ही जाती है
मालूम कुछ नहीं पर तस्वीर धुंधली छोड़ ही जाते है
एहसास अंजाना मगर अपनों की जरूरत पड़ ही जाते हैं...
Manshi K