कभी कभी मैं यह सोचती हूँ
के हम अपनी ख़ुशी, सुकून के दुश्मन खुद हैँ
क्यों की अकेले में खुद में उनको एहसास करना
उनका ही ख्याल आना
उनके वक़्त का इंतज़ार करना
बार बार phone की तरफ देखना
इस कदर हम उनके बारे में सोचते हैँ
के खुद में खुश रहना ही भूल जाते हैँ
- SARWAT FATMI