काश....
वो समझ पाते मुझे
मेरे ज़ज़्बातो को, मेरे एहसासो को
मेरे बे इंतेहा मोहब्बत को
पर...
हर ज़ज़्बात, हर एहसास
अपने होने का
खुद बताना
शायद ये मोहब्बत नहीं
शायद उनकी कुछ भी नहीं
शायद खामोखा उन्हें परेशान कर दिया
काश....
इस शब्द से जितनी नफरत थी
अब वही काश... मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन गयी
काश...
वो समझ पाते मुझे
मेरी उलज़नो को
मेरी बातो को.....
- SARWAT FATMI