मतलबी दुनियां में कोई अपना नहीं होता है
सबको अपने मतलब से मतलब रहता है
परछाई भी अंधरों में हमारा साथ छोड़ देती है
ये भी मतलबी ही तो है,
कोई किसी को समझना नही चाहता है,
सब एक जैसे ही होते हैं,
किसी से आप दिल लगाओ या न लगाओ,
कोई नही समझता तकलीफ हमें भी होता हैं
खैर अब खुद से शिकायत दर्ज करने का दिल करता है
कम से कम हम खुद के वजह से ही रोए है
इस बात का तसल्ली तो होता है
काश काली रात मुझे अपनी आगोश में समा ले
मेरी कल की सुबह , सुबह ही न हो ......
Manshi K