विषय- मित्रता
विधा -कविता
शीर्षक-सच्चा मित्र
नसीबों से मिलता है, कोई एक सच्चा मित्र।
मित्रता बनाई नहीं जाती, हो जाती है।।
एक प्यारा सा अनमोल रिश्ता है मित्रता।
मित्रता पर सब कुरबान किया जाता है।।
राम-सुग्रीव-सा मित्र होना गौरव की बात है।।
बिना कहे बात समझें और दर्द महसूस करें। हर क्षण पल-पल परछाई बनकर साथ रहें।।
सुख-दुःख में साथ निभाए कभी न छोड़ जाए।
मित्रता खातिर सारी दुनिया से भी लड़ जाए।।
कृष्ण-अर्जुन-सा मित्र होना गौरव की बात है।।
तीनों लोक का नाथ , नंगे पैर दौड़े चले आए।।
मुट्ठी भर तंदुल खाए, सुदामा को गले लगाए।
मित्र को मिलकर, द्वारकाधीश खुद पैर पखांरे।
सत्कार करें रुक्मणी संग, सुदामा धन्य हो जाए।।
कृष्ण-सुदाम-सा मित्र होना गौरव की बात है।।
डॉ दमयंती भट्ट
राजकोट
गुजरात