पता नहीं ये बोलूं या रूठ जाऊं मैं खुद से
हां, है मोहब्बत तो मैं क्यों झुठलाऊं....??
आंखों में नमी यूं ही भर तो नहीं आती
थोड़ा सुकून छिन जाता बाकी आपकी फिक्र
हमें चाह कर भी मुस्कुराने नहीं देता ......!!!
तारों से या चांद से तारीफ करूं आपकी
दिल तो चाहता है बन कर हवा आपसे टकरा कर गुजर जाऊं ......
पर अभी दुरियां बहुत है और उतनी ही नजदीकियां भी है जो हमें एहसासों में एक दूसरे से जोड़े रखती है .......!!!
Manshi K