तुम्हें बस यह बताना चाहता हूं
मैं तुमसे क्या छुपाना चाहता हूं

कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो
मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं

अदाकारी बड़ा दुख दे रही है
मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूं

अमीरी इश्क़ की तुमको मुबारक
मैं बस खाना कमाना चाहता हूं

मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा
मैं तुमको याद आना चाहता हूं
----- Fehmi Badayuni

- Umakant

Hindi Shayri by Umakant : 111949652
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