जिंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत दूरसे मिला है मुझे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

दिल धड़कता नहीं है टपकता है
कल जो ख्वाहिश थी आबला मुझे

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

कोहकन ही कि कैस हो कि ‘फराज’
सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे

अहमद फ़राज़
💕
- Umakant

Hindi Shayri by Umakant : 111949556
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