तेरी चुप्पी,तेरा किसी का इसरा करना
बस मूरत बन कर खड़ी रही
खुद का तमाशा बनते देखती रही
खुद को कोसती रही
क्यू अपने खाली दिल मे जगह दिया तुम्हे
ये सोच कर नफरत हो रही है, खुद से
- SARWAT FATMI

Hindi Shayri by SARWAT FATMI : 111949271
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