“इश्क “

इश्क में मिला है दर्द उम्र-भर का
आसमाँ है भीगा-भीगा मेरी नज़र का
सोचा नहीं था, जो भी हुआ है
मोहब्बत नशा है, ये कैसी सज़ा है?
दिल के तड़पने का भी अपना मज़ा है
मोहब्बत नशा है, ये कैसी सज़ा है?
दिल के तड़पने का भी अपना मज़ा है
आँखों को गिला है जो, पलकों पे लिखा है वो
तेरी बेरुख़ी से मुझे एतराज़ है
आँखों को गिला है जो, पलकों पे लिखा है वो
तेरी बेरुख़ी से मुझे एतराज़ है
तू जो है ख़फ़ा तो, ऐसा जो हुआ तो
धड़कनों से मेरी दिल नाराज़ है
तेरे बिना लगे मुझे
इश्क़ तन्हाइयों से भरा है
मोहब्बत नशा है, ये कैसी सज़ा है?
दिल के तड़पने का भी अपना मज़ा है
टूटी हुई नींदों से कैसे जोड़ूँ सपने?
तुझसे हूँ पूछता बस यही बात मैं
टूटी हुई नींदों से कैसे जोड़ूँ सपने?
तुझसे हूँ पूछता बस यही बात मैं
लम्हे तेरी यादों के लेके इन बाँहों में
लेता रहूँ करवटें सारी-सारी रात मैं
तेरी वजह से है ये ग़म
या तकदीर की ये ख़ता है?
मोहब्बत नशा है, ये कैसी सज़ा है?
दिल के तड़पने का भी अपना मज़ा है
मोहब्बत नशा है, ये कैसी सज़ा है?
दिल के तड़पने का भी अपना मज़ा है

- Umakant

Hindi Shayri by Umakant : 111948776
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