जय कृष्णा , जय गोपाला
मोर मुकुट , बांसुरी वाला ।
श्याम वर्ण,चंचल चितवन
गल वैजयंती, अंग पीतांबर ।
माखन मिश्री रूचि रूचि खावे
ग्वाल बाल संग धूम मचावे।
नंद यशोदा का राजदुलारा
वासुदेव देवकी की आंखों का तारा ।
राधा संग प्रीत की दी नई परिभाषा
गोपियों संग मधुर रास रचाता।
पापी कंस का किया पल में संहार
रण में अर्जुन को दिया गीता ज्ञान।
जय कृष्णा, जय गोपाला
मोर मुकुट , बांसुरी वाला।।


- Saroj Prajapati

Hindi Poem by Saroj Prajapati : 111947969
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