यादों में ठहर कर
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उनकी यादों में ठहर कर यूँ संवर जाते हैं,
जैसे किसी पुरानी किताब के पन्ने बिछ जाते हैं....
हर लम्हा, हर बात, एक अजनबी ख्वाब बन जाती है,
जिन्हें देखे बिना ये दिल, बस सिसकियों में खो जाते हैं.....
उनकी हँसी की खिलखिलाहट अब भी दिल में बसी है कही
जैसे हर शब्द और हर गीत उन्हें ही महसूस कराता है....
वो मुलाकातें, वो बातें, जैसे तारे रातों में चमकते हैं अभी
उनकी यादों की गहराई, हर लम्हे में बस यूं जाते है....
अल्फाजों के बिना ये दिल, एक खाली किताब बन गया है
जिनमें पुरानी कहानियाँ, बस ख्यालों की तरह रह गईं है...
उनकी यादों में ठहरकर हर दिन ऐसा लगता है
जैसे समय का पहिया, अतीत के लम्हों में भींग यूं जाते है...
Manshi K