एक शरारत  है तेरी याद अगर ,
एक समुंदर है मेरी छुपी तन्हाई भी।

जीना हर रोज है तो मौत भी आखरी है,
पी लिये सागर गमों के तन्हाई बाकी है।

तू जिस रोज लिपटी,रूह से मेरे बेल की तरह,
तेरी मेरी तन्हाइयों ने मुझे सूखा पड़े बना दिया।

मैं शांत हु,मै झुका हु, लेकिन टूटा नहीं हौसला मेरा,
बस लीन हो रहा हु, बन रहा में दास "राधे 💐" तेरा।

एक रोज भी तन्हा नहीं रहा दिल मेरा,
हर रोज तन्हाई के बाण चल रहे तेरे बिना।

हमारा प्रेम समुंदर की गहराई से गहरा था,
अब तो परछाई भी साफ झलकती है तन्हाई की।

भरत (राज)

Hindi Romance by Bharat(Raj) : 111946847
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