तेरे मंदिर का …

तेरे मंदिर का हुं दीपक जल रहा …२
आग जीवन में मैं भर कर जल रहा
तेरे मंदिर का हुं दीपक जल रहा …२


क्या तू मेरे डर से अंजान है
तेरी मेरी क्या नई पहचान है
जो बिना पानी बताशा ढल रहा
आग जीवन में मैं भर कर

का झलक मुझ को दिखा दें साँवरे
मुझ को ले चल तू मधुम की छाँव रे, साँवरे
और छलिया आ आ आ
और छलियां क्यों मुझे तू छल रहा
आग जीवन में मैं भर कर

मैं तो क़िस्मत बॉसुरी के बान छटा
एक धुन से सौ तरह से नाचता
आँख से जमुना का पानी ढल रहा
आग जीवन में मैं भर कर

पंकज मल्लिक
- Umakant

Hindi Song by Umakant : 111946101
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now