डिजिटल प्यार,

हा दोस्तो ,प्यार और वो भी डिजिटल वाला,
जहा गुड मॉर्निंग से गुड नाइट बिना मिले हो।

पल पल का हिसाब दोनो और हो,
छोटी छोटी एमोजी भी बड़ी खुशियां दे जाए।

लाखो कीलोमिटर की दूरी क्षण में गायब है यहा,
लेकिन क्या एहसास जग पाते है उस कदर।

जैसे राधा बनी थी कृष्णा के लिए,
नहीं ना ,दूर से सिर्फ प्यार कैसा प्यार होगा।

अब तो जिंदा होने का प्रमाण भी,
डिजिटल डिवाइस की वो दो ब्लू लाइन ही है।

आज प्यार एक से नही कईयों से करते है,
रूह को तो कब का मार ही बैठा है इंसान।

यह सब प्यार नही सिर्फ आकर्षण है माना जग ने,
प्यार में कहा चाहत होती है कब्जा करने की


प्यार तो दो इंसानों के मिलन से,
उभरे जज्बातों का प्रतिफल है ।

दो डिजिटल डिवाइस के कनेक्ट होने से,
प्यार भला कैसे हो सकता है।

जो मिलन आत्मा का है ,
वो डिजिटल भाषा केसे समझे यह दिल।

फिर भी चलो मान भी लेता हु मिलन ना सही,
शुकून की दो बात तो करते होंगे,

अकेले रहने से अच्छा है ,
किसी से डिजिटल ही सही जुड़े तो है,

वो प्यार सच्चा ना सही ,कुछ पल का सुकून तो है।
तो जी लो जिंदगी ,love you jindagi

भरत (राज)

Hindi Romance by Bharat(Raj) : 111946094
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