मां सरस्वती वंदना
वन्दे त्वं चरणे हे मां सरस्वती भगवती भारती वरदा वसुधा वर प्रदा ज्ञान मुद्रा विद्या रुपिणी वीणा पाणिनी।
कोटि-कोटि प्रणाम हे मां शारदे वर दे मां ज्ञान का
भंडार दे ।जय जय हे मां ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी
मां शारदे । जय मां शारदे। जय जय हे मां शारदे।
तेरी जय हो हे मां शारदे।
तेरी स्तुति करते रहें तो मन धन से समर्पित हो कर।
तेरी भक्ति में लीन हो जाएं भाव विभोर होकर।
हे मां शारदे हे मां शारदे प्रणत नमामि मां शारदे।
विद्या विभूति से झोली भर दे हे मां शारदे।
विद्या से विभूषित करती तुम हो हे मां शारदे।
जय जय हे मां ब्रह्मचारिणी वेदों की स्वामिनी
हे मां शारदे हे मां शारदे त्वां भजामि हे मां शारदे।
घर पर में वेदों का पाठ हो यही आशीर्वाद दो
हे मां वेदों की ज्ञानिनी हे मां शारदे।
वेद पुराणों का पाठ करना सिखा दे हे मां शारदे।
हे मां शारदे हे मां शारदे जयति जयति हे मां शारदे।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे।
कमल फूलों का हार पहनाएं तुम्हें हे मां शारदे।
जय जय हे मां शतदल वासिनी हे मां शारदे।
विमल मति दे हे मां शारदे।
तम हर लो हे मां शारदे।
कुमति निवार दो हे मां शारदे।
सद्बुद्धि दे हे मां शारदे।
बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे।
बुद्धि पर विराजो हे मां शारदे।
कुबुद्धि नाशिनी तुम हो हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और नैवेद्य अर्पित करें हे मां शारदे।
तेरे रज रज दर्शन पाएं हे मां शारदे।
तेरी आरती करें भोग भंडारे लगाएं
हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
जय जय हे मां वागीश्वरी वैकुंठ वासिनी
हे मां भगवती हे मां भारती हे मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
जय जय हे मां शारदे।
कृपा करो हे मां शारदे।
कह अनिता अकिंचन दासी विद्या ज्ञान बुद्धि बल
विवेक सहित
सिद्धि निधि समृध्दि जलधि प्रेम प्रसून खिले।
जन जन ज्ञान तृप्त संतृप्त संग्राम शमित दशशीशा। मिटे जग कष्ट रोग व्याधि शत्रु क्लेशा।
विष हरण त्रय ताप क्षरण मुक्त आवागमन
जीवन मरण। धरा हरित बाग बगीचे कोकिल
कूकत उपवन।
बहे पतित पावनी गंगा ज्यों रजत सम निर्मल
जल सुधा रस धार।
हे जग जननी जग वंदनी जग उद्धार दे।
भवतारिणी भव मोचनी मां शारदे जग तार दे।
जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे।
दंडवत प्रणाम करते हैं हे मां शारदे।
जय हो जय हो जय हो हे मां शारदे।
-Anita Sinha