अपने दिल को कैसे समझाऊं?
जो तुम्हे सोचकर अक्सर खुद का पता भूल जाता है
अब खुद को कैसे मनाऊं?
जो खुली आंखों से फिक्र तेरा करता है
ठहर जाते हैं पलकों पर आकार आंसू
जो तुम्हे तकलीफ में देखकर खुद ब खुद बह जाता है
चांद से क्या शिकायत करूं मैं?
हम दोनो को साथ न देखकर खिल्ली उड़ाता है ...
-Manshi K