विषय - नास्तिक
जिसे धर्म अधर्म का पता नहीं,
वही होते है मन से नास्तिक।
रीति रिवाज पर हंसने वाले,
परंपराओं को नहीं समझते वास्तविक।।
अपने ही धर्म का मजाक बनाकर,
दूसरे धर्म की कुरीतियों पर मौन हैं।
ऐसे लोग अपने ही लोगों के लिए,
धर्म के प्रति घातक ,एक डॉन है।।
नास्तिकता का भाव पैदा सिर्फ,
एक ही धर्म के प्रति उठता कीड़ा।
अपने ही धर्म का विनाश करने में,
नास्तिक लोगों ने उठाया बीड़ा।।
ईश्वर को न मानने वाले लोग,
अंत समय,याद करते परमात्मा।
जब सब कुछ यहीं पर छूट जाता,
तब कर्म का लेखा जोखा भुगतती आत्मा।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री