*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*ओजस्वी,संज्ञान,विधान,*
*सकारात्मक,अध्यवसाय*
*ओजस्वी* नेता अटल, वक्ता थे अनमोल।
श्रोता सुनकर कह उठें, अदभुत है हर बोल।।
जब आए *संज्ञान* में, गलत काम को छोड़।
सही राह पर चल पड़ो, जीवन का रुख मोड़।।
प्रभु का यही *विधान* है,करिए सदा सुकर्म ।
फल मिलता अनुरूप ही, गीता का यह मर्म।।
सोच *सकारात्मक* रखें, जिससे मिलती राह।
हार न मिलती है कभी, जग में होती वाह।।
करते *अध्यवसाय* जब, मिले सफलता नेक।
जीवन का यह सत्य है, उन्नति सीढ़ी एक ।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "