अकेला खड़ा हूँ रास्ते में,
बीच रात का समय है।
साया मेरा साथ नहीं दे रहा,
बहुत दूर तक अँधेरा छाया है।
कहाँ जाऊं, किसके पास जाऊं,
मैं मेरी ही तलाश में हूँ यहाँ।
क्या मिलेगा जब तक़दीर में,
ये विचारों का छाया है गहरा समां।
धुँधला सा अहसास, खोया हुआ,
दिल में छूटे जा रहे विचार।
अब कैसे जियूं, ये सवाल है,
मेरे अंदर का ये बावला सा मिजाज़।
सपनों की राह पर चलता रहूं,
धीरे-धीरे रास्ते खो रहा हूँ।
ज़िन्दगी की ये नादानी है,
इसी में अपने आप को खो कर जी रहा हूँ।
-Manshi K